अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
प्रकृति उत्पाद बेंच कर मन नहीं भरा ...
मनुष्यता बेंच कर मन नहीं भरा ...
ईमानदारी बेंच कर मन नहीं भरा ...
विलासिता बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नही भरा ...
खुदा बेंचकर मन नहीं भरा ...
खुदाई बेंचकर भन नहीं भरा ...
ईशू बेंच कर मन नहीं भरा ...
ईशुवाई बेंच कर मन नही भरा ...
ईश्वर बेंच कर मन नही भरा ...
सत्यता बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
कर्म बेंच कर मन नही भरा ...
धर्म बेंच कर मन नहीं भरा ...
ईमान बेंच कर मन नहीं भरा ...
मनुष्य बेंच कर मन नही भरा ...
प्रेम बेंच कर मन नहीं भरा ...
घृणा बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
कुर्सी बेंच कर मन नहीं भरा ...
पद बेंच कर मन नही भरा ...
कद बेंच कर मन नहीं भरा ...
गरीब बेंच कर मन नहीं भरा ...
गरीबी बेंच कर मन नहीं भरा ...
आपदा बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
जरूरत है रोटी कपड़े एक आशियाने की ...
आवश्कताएं बढ़ाने से मन नहीं भरा ...
जरूरत है प्रेम परिवार स्वच्छ समाज की ...
घृणा तिरस्कार बढ़ाने से मन नहीं भरा ...
जरूरत है प्रकृति के पूर्ण संरक्षण की ...
प्राकृतिक विनाश करने से मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
जय हिन्द
बड़कू चौधरी
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ..